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4 शार्ट स्टोरी लघुकथा = लंगड़ा कुत्ता ( सामाजिक )

शार्ट स्टोरी चैलेंज हेतु लघुकथा कथा

जेनर = समाजिक 


शीर्षक = लंगड़ा  कुत्ता 




सुबह का समय था वर्मा जी के दरवाज़े पर एक बाइक आकर रुकी। बालकनी में कपडे सूखा रही श्रिया ने अपने भाई दीपक को आवाज़ लगायी और कहाँ " भैया तुम्हारा दोस्त केशव आया है तुम्हे लेने नीचे खड़ा इंतज़ार कर रहा हैं "


दीपक जो की नाश्ता कर रहा था अपनी बहन की आवाज़ सुन झट खड़ा हुआ और अपना बस्ता कंधे पर टांगा और अपनी माँ कौशल्या से बोला " अच्छा माँ मैं चलता हूँ कॉलेज के लिए देर हो रही है "

अख़बार पढ़ रहे दीपक के पिता महेश ने अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और उसे देते हुए बोले " ये रख अपने पास काम आएंगे तेरे बाइक से जाता है कभी तेल डलवा देना केशव की बाइक में "


"पापा वो बुरा मानता है अगर मैं उसकी बाइक में तेल डलवाता हूँ "दीपक ने पैसे लेते हुए कहाँ

"नहीं बेटा ये तुम्हारा फर्ज़ है कि तुम उसकी गाड़ी में कभी अपने पेसो से भी तेल डलवाओ माना वो बहुत अमीर है लेकिन पैसा तो उसके पिता भी मेहनत से कमाते है " महेश ने कहाँ

दीपक ने अपने माँ बाप का आशीर्वाद लिया और बाहर आ गया।

"केसा है तू केशव और कल छुट्टी में किया क्या " दीपक ने बाइक पर बैठते हुए पूछा

" कुछ नहीं भाई, बस सौ कर गुज़ारा अपना रविवार " केशव ने कहाँ

" मेरा तो बहुत व्यस्त रहा, काफी काम निबटा दिए कल मेने जो अधूरे थे " दीपक ने कहा

केशव गाड़ी भगाने लगा तभी अचानक सामने एक कुत्ता आया केशव ने उसके जान बूझ कर लात मारी और गाली बक कर हसने लगा। वो अक्सर गली को कुत्तो के साथ ऐसे ही करता था। वो उन कुत्तो को लात मारकर प्रसन होता जब वो पे,,, पे,,,,, पे,,,, कि आवाज़ करते।


दीपक जिसके मन में जानवरो के प्रति सहानुभूती थी। वो अक्सर केशव से लड़ जाता जब भी वो बाइक पर बैठ कर कुत्तो को लात मार कर गाली बकता और हस कर भाग जाता।


वो अक्सर उससे कहता " कि इनके भी दर्द होता है भले ही ये अवारा है लेकिन फिर भी वफादार है एक रोटी खाकर रात भर हमारे घरों कि चौकीदारी करते है "

केशव उससे हमेशा कहता " चल चल ज्यादा लेक्चर मत दे पूरी गली में गंदगी फेला कर रखी है इन आवारा कुत्तो ने एक आद को तो मैं कभी अपनी बाइक से कुचल दूंगा देखना एक दिन तभी मुझे ख़ुशी मिलेगी "

केशव और दीपक कॉलेज आ जाते है वो दोनों इंजीनियरिंग के दूसरे साल में है। शाम  के चार  बजे  कॉलेज छूट  जाता है ।

केशव  दीपक  को बाइक पर  बैठा  कर  घर  की और चलता  और रास्ते भर  मिलने वाले हर कुत्ते को जान बूझकर  लात मारता और गाली बक्कर  तेज निकल जाता। वो कुत्ते बुरी तरह  रोते उसकी लात खाकर । पीछे  बैठा  दीपक  ना चाह  कर  भी  ये सब  सहन  करता उसे कुत्तो की उन आवज़ो  में दर्द नज़र  आता  मानो वो दर्द भरी आवाज़  में उन्हें यूं बेवजह  लात मारकर  जाने की वजह  पूछ  रहे  हो जबकी  वो तो सडक  किनारे आराम  से खड़े  है  बिना किसी को कोइ तकलीफ  दिए ।

ये केशव  का हर  रोज़ का ही था। एक दिन जब केशव  और दीपक  कॉलेज  जा रहे  थे  तब  केशव को मस्ती सूजी  उसने सामने बैठे  एक कुत्ते को अपना निशाना  बनाया  जो की दीपक  को बहुत  प्यारा था ।

उसने अपनी बाइक उस कुत्ते पर  लात मारने के लिए  इतनी करीब  से निकाली की बाइक का अगला पहिया  कुत्ते की टांग पर  चढ़  गया  और वो दर्द से इतना चीखा  की उसकी आँख  से आंसू  निकल  आये ।

उस दिन दीपक  के सब्र का बांध टूट  गया  और उसने कस  कर  केशव  को थप्पड़  लगाते  हुए  कहा " अंधा  है  तू  तुझे  दिख नहीं रहा  है  सामने कुत्ता बैठा  है उसके बावज़ूद  तूने  जानबूझ  कर  उसको परेशान  करने  के लिए  बाइक इतनी पास से निकाली की उसकी टांग जख़्मी  हो गयी । तुझे  बहुत  घमंड  है  अपने अमीर  और इंसान होने पर  जा मेने तुझसे  दोस्ती तोड़ दी और आयींदा  मुझसे  बात करने  की कोशिश  भी  मत  करना । क्या बिगाड़ा है  तेरा इन कुत्तो ने जो तू  हर  वक़्त इनका दुश्मन  बना  फिरता  है  भगवान  करे  तू  भी  अगले जन्म में कुत्ता ही बने  तब तुझे  एहसास होगा की इन्हे भी  दर्द होता है  इनकी भी  आँख  से आंसू  आता  है  जब  कोइ बेवजह  इन्हे गाली देकर  लात मारता है  "


दीपक  ने तुरंत  अपने बेग से पट्टी और मरहम  निकाला जो वो हमेशा  अपने बैग में रखता  है  मरहम  लगा  कर  वो उसे जानवरो  के अस्पताल ले गया । जहाँ पता  चला  की ये लंगड़ा  हो चुका  है  और इसकी टांग काटनी पड़ेगी नहीं तो जख्म  इसकी जान ले लेगा।

दीपक  उदास हुआ। वो कॉलेज  में सारा दिन केशव  से बात नहीं की और वापस  रिक्शा  में आया ।

कुछ  हफ्तों बाद उस कुत्ते ने दोबारा चलना शुरू  किया। लेकिन बेचारा  अपनी टांग खो  चुका  था  किसी की मस्ती की वजह  से अब उसे अपनी बाकी ज़िन्दगी लंगड़ा  कुत्ता बन  कर गुज़ारना पड़ेगी । अब वो ना तो तेज़ भाग  सकता  है  और ना ही दूसरे  कुत्तो से लड़  कर  अपना खाना  हासिल कर  सकता  है ।

दीपक  को केशव  पर  गुस्सा आ  रहा  था  पर  वो कर  भी  क्या सकता  था ।जो होना था  वो तो हो ही गया  था । दीपक  अब रिक्शा  से कॉलेज  जाता वो केशव  से बात तक  नहीं कर  रहा  था ।


केशव  भी  उससे नहीं बोल रहा  था उसे पछतावा  भी  नहीं था वो तो उल्टा ये सोच  रहा  था  कि इसने एक कुत्ते के लिए  मुझसे  दोस्ती तोड़ दी।


इसी तरह  कुछ  दिन गुज़रे एक रात पहले  ज़ोर दार बारिश  हुयी जिसकी वजह  से सड़को  पर  पानी भर  आया  जो की कोइ भी  बड़े  हादसे को दावत  दे सकते  थे ।

अगले दिन रविवार  था। दीपक  गली में कुत्तो के साथ  खेल  रहा  था  वो उन्हें खाना  डालने गया था । तभी  वो लंगड़ा  कुत्ता दौड़ता हुआ दीपक  के पास आया ।

दीपक  ने उसे रोटी दी लेकिन उसने फेक  दी और दीपक  की पैंट को अपने मुँह में दबा  कर  एक और ले जाने की कोशिश  कर  रहा  था । दीपक  को थोड़ा समय  लगा  उसकी बात जानने में। और वो उसके पीछे  चलने लगा ।


वो उसे एक सुनसान सडक की और ले गया जिसका  रास्ता ख़राब होने की वजह से बहुत कम ही लोग वहा से गुज़रते है और बरसात के दिनों में तो वो दलदल बन जाती है वो सडक।

नगरपालिका वाले हर बार उसकी मरम्मत कराते है पर वो दोबारा वैसी हो जाती है।


दीपक  उस कुत्ते के पीछे  चला  गया । थोड़ी  दूर  जाकर  वो रुक गया  और बैठ  गया । तभी  दीपक  ने देखा  की  वहा  कोइ है जो जख़्मी  हालत में पड़ा  है  शायद  उसकी बाइक फिसल  गयी  और गिर गया  ज़रूर  कोइ मुसाफिर था  वरना  परिचित  लोग तो इस रास्ते का चयन नहीं करते  वो भी  बारिश  के दिनों में।


दीपक  उसके पास  गया । उसे वो बाइक कुछ जानी पहचानी  लगी  वो घबरा  कर  बाइक वाले के पास  गया  और उसका मुँह अपनी तरफ  किया तो घबरा  कर  रोने लगा  वो केशव  था  जो जानबूझ  कर उन गड्डों में मस्ती करने  आया  था  बाइक लेकर । लेकिन कब  उसकी बाइक फिसल  गयी  और वो गिर गया । ये सब  होते देख वो लंगड़ा  कुत्ता देख  रहा  था  वो उसे पहचानता  था  इसलिए  वो दीपक  के पास दौड़ा चला आया।

दीपक  ने एम्बुलेंस को फ़ोन  किया और उसे अपने साथ  अस्पताल ले आया ।  उसकी टांगे टूट  चुकी  थी  और सर  पर  काफी चोट  आयी  थी  हेलमेट भी  नहीं पहना था  उसने।


दो दिन तक  वो बेहोश  पड़ा  रहा । केशव  के घर  वाले परेशान  थे  और दीपक  भी ।

तीसरे  दिन केशव  को होश  आया  तो उसने पूछा  " मुझे  यहाँ कौन लाया "

उसके माँ बाप ने कहाँ " दीपक  लाया था  तुम्हे "

केशव  ने दीपक  को बुलाया और उसका शुक्रिया अदा किया।

तभी  दीपक  बोला " शुक्रिया अदा मेरा नहीं उस लंगड़े  कुत्ते का करो  जिसे तुमने उम्र भर  के लिए  लंगड़ा  बना  दिया है  सिर्फ अपनी मस्ती के खातिर । अगर  वो तुम्हे गिरते हुए  नहीं देखता  और मुझे  उस जगह  नहीं ले जाता  तो भगवान  जाने तुम्हारे साथ  किया होता। क्यूंकि उस रास्ते से कोइ भी  राहगीर  नहीं गुज़रता  और बरसात  के मौसम  में तो बिलकुल भी  नहीं । देखा  केशव  जिसको तुम लात मारते और गाली देते थे  आज  उसी कुत्ते ने तुम्हारी जान बचा  ली मैं नहीं कहता  था  कुत्तो से ज्यादा वफादार  और कोइ नहीं ये दुश्मनों के साथ  भी  वफ़ा दार होते है  और दोस्तों के साथ  भी  "

केशव  ये जान कर  बहुत  शर्मिंदा  हुआ की उसकी जान आज  उसी कुत्ते ने बचायी  जिसे उसने अपनी मस्ती में उम्र भर  के लिए  लंगड़ा  कर  दिया।

उस दिन उसने कसम  खायी  की वो कभी  भी  किसी कुत्ते को परेशान  नहीं करेगा  अपनी बाइक से।

दीपक  ये सुन खुश  हुआ।

कुछ  दिन बाद केशव  चलने  लगा । उसने उस कुत्ते को अपने गले  लगाया  और अपने घर  ले आया । उसने अपने पिता से कह  कर  उसके लिए  एक कृत्रिम टांग मांगवाई  जिसे पहन  कर  वो अब दौड़ भी  सकता  था।

केशव और दीपक  दोबारा एक साथ  बाइक पर  जाने लगे । केशव  अब कुत्तो को देख  उनके पास  से आराम  से बाइक निकालता और हर  रविवार  उन्हें खाना  खिलाता।

जोनर  = समाजिक 

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6 Comments

Shnaya

02-Jun-2022 04:12 PM

👏👌

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Seema Priyadarshini sahay

31-May-2022 09:55 PM

Nice story

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Fareha Sameen

07-May-2022 02:07 PM

Nice

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